रिश्तो कि नर्मी तोह कबसे चली गई थी,
आज मौसम भी सुख गया तोह हैरान हैं क्यूँ ?
तूफ़ान के सहारे से तोह कबसे बढ़ रही थी,
आज साँस छुट्ट गई तोह हैरान हैं क्यूँ ?
भीतर की रोशनी को तोह कबसे अंदेखी कर दी थी,
आज बाहार सूरज नहीं दिख़ा तोह हैरान हैं क्यूँ ?
दिल की आवाज़ तोह कबसे शांत कर दी थी ,
आज तन भी मुरदा हो गया तोह हैरान हैं क्यूँ ?