तुम हमसे न उम्मीद रखो किताबों वाली मोहब्बत की
नहीं आती हमको लब्ज़ोन में बयान करने वाली मोहब्बत
शिकयात यह रहीं तुमको
की नहीं ज़ुबान से जताया ,
जानेमन, कैसे कहे
नहीं गवारा तुमको खोना
ज़ुबान के फिसलने से
जो रूह से महसूस हो वह एहसास को कैसे लब्ज़ोन में बयां करू ?
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