एक आस ही तोह हैं
सूरज ढलता हैं हर शाम को चाँद से मिलने के लिए!
एक चाह ही तोह हैं
हम इंतज़ार करते हैं सूरज और चाँद का, तुजसे गुफ्तगू करने के लिए!
एक इबादत ही तोह हैं
हम झुके हैं ,तुजे पाने के लिए !
हैं तम्मनाह तुजे पाने की
मगर खुसनासीबी समजेंगे अगर तू लेले अपने आगोश में !!